मुख्यमंत्री बिप्लब देब का इस्तीफा, आज शाम विधायक दल की बैठक में नए CM पर फैसला |

त्रिपुरा में भी अगले साल विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Election 2022) होने हैं। त्रिपुरा वह राज्य है, जहां 2018 के चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था। बीजेपी के सीएम बिप्लब कुमार देब अपने बयानों की वजह से लगातार सुर्खियों में तो बने ही रहते हैं, विधायक दल में भी जब-तब उनके बदलाव की मांग होती रहती है। अब बिप्लव देब ने अपनी कोशिशें शुरू कर दी हैं ताकि उनकी कुर्सी बनी रहे।

ऐसे कई मौके आए, जब उनकी कुर्सी जाते-जाते बची। उत्तराखंड और कर्नाटक के जरिए बीजेपी यह संदेश दे चुकी है कि उसे सीएम बदलने से कोई हिचक नहीं होती। उत्तराखंड के नतीजों के जरिए यह भी तय हो गया कि छह महीने के अंदर दो-दो सीएम बदलने का उसका फैसला सही था। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और उसके बाद तीरथ सिंह रावत को अगर हटाने का फैसला नहीं किया होता तो शायद वैसे परिणाम नहीं आ पाते, जिनकी अपेक्षा थी।

खैर, त्रिपुरा में ऐसी परिस्थितियां न बनने पाएं, इसके मद्देनजर बिप्लब कुमार देब ने अभी से कोशिश शुरू कर दी है। इसी कड़ी में उन्होंने पिछले दिनों एक क्षेत्रीय दल- त्रिपुरा पीपल्स फ्रंट का बीजेपी में विलय कराया। त्रिपुरा में करीब 32 प्रतिशत जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं और इस पार्टी के नेता पताल कन्या जमातिया का इनके बीच अच्छा असर माना जाता है।

राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि बिप्लब कुमार आने वाले दिनों में भी ऐसी कोशिशें जारी रखेंगे ताकि पार्टी के अंदर उन्हें हटाने की मांग को बेअसर किया जा सके। पार्टी नेतृत्व को वह यकीन दिलाना चाहते हैं कि राज्य में उनकी अहमियत कम नहीं हुई है।

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