साल में एक बार खुलने वाले महेश्वर महादेव जी के मंदिर की विशेषताएं और इसके पीछे का पहलु जाने।

साल में एक बार खुलने वाले महेश्वर महादेव जी के मंदिर की विशेषताएं और इसके पीछे का पहलु जाने। काशी में कण-कण में शिव जी का वास है और सावन में यहां बाबा विश्वनाथ पर जलाभिषेक के लिए लाखों लोग पहुंचते हैं। काशी की कोई ऐसी गली कोई ऐसा मोहल्ला नहीं होगा जहां के मन्दिरो में स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक न किया जाता हो। लेकिन काशी में महादेव का एक मंदिर ऐसा भी है जो साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन खुलता है। बाकी पूरे साल यह मंदिर…

जानें भगवान के हरिहर स्वरूप का रहस्य – आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

जानें भगवान के हरिहर स्वरूप का रहस्य – आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र जानें, क्या है भगवान के ‘हरिहर अवतार’ का प्रसंग ? शैव और वैष्णवों में आपसी मतभेद मिटाने के लिए भगवान शिव और विष्णु ने किस तरह लीला कर संसार को दिया संदेश कि परमात्मा एक ही है, चाहे किसी भी मार्ग से उसकी उपासना की जाए । वेद में कहा गया है कि परमात्मा माया के द्वारा अनेक रूप वाला दिखाई देता है और सृष्टि-स्थिति और प्रलय की लीला के लिए ‘ब्रह्मा, विष्णु और शिव’-इन तीन रूपों…

आर्थिक तंगी से हैं परेशान, तो करें लौंग का यह आसान सा उपाय, हो जाएंगे मालामाल।

आर्थिक तंगी से हैं परेशान, तो करें लौंग का यह आसान सा उपाय, हो जाएंगे मालामाल। क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में रखी लौंग आपके भाग्य को बदल सकती है और आपको मालामाल बन सकती हैं। वो कैसे ?? आप भी जानें। ह‍िंदू रीति-रिवाजों के पूजा और धार्मिक कार्यों में लौंग का बहुत महत्व है। ज्योतिष में भी लौंगके कुछ आसान उपाय बताए गए हैं। अगर आप भी अपनी किस्मत बदलना चाहते हैं और अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो आप लौंग के उपायों को आजमा…

पाप का बाप कौन? | शिक्षास्पद रोचक दृष्टांत – आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

पाप का बाप कौन? | शिक्षास्पद रोचक दृष्टांत – आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥ काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा॥ भावार्थ:-सब रोगों की जड़ मोह (अज्ञान) है। उन व्याधियों से फिर और बहुत से शूल उत्पन्न होते हैं। काम वात है, लोभ अपार (बढ़ा हुआ) कफ है और क्रोध पित्त है जो सदा छाती जलाता रहता है॥ मित्रों, क्रोध से परहेज रखो, अपने जीवन को प्रेम से आपूरित होने दे, संयम रखे, मिजाज ठंडा रखे,…

महाभारत युद्धस्थल ‘कुरुक्षेत्र’ को ‘धर्मक्षेत्र’ क्यों कहा जाता है | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

महाभारत युद्धस्थल ‘कुरुक्षेत्र’ को ‘धर्मक्षेत्र’ क्यों कहा जाता है | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र श्रीमद्भगवद्गीता का आरम्भ ही ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ इन शब्दों से होता है । कुरुक्षेत्र जहां कौरवों और पांडवों का महाभारत का युद्ध हुआ और जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य वाणी से गीता रूपी अमृत संसार को दिया, उसे धर्मक्षेत्र या पुण्यक्षेत्र क्यों कहा जाता है ? इसके कई कारण हैं— प्राचीन कुरुक्षेत्र एक विशाव भू-भाग था, जिसमें बहुत से शहर और गांव आबाद थे । प्राचीन काल से ही कुरुक्षेत्र धर्मक्षेत्र रहा है । यजुर्वेद…

जानें नवरात्रों में कन्या पूजन करने का महत्व, कन्या पूजन के बाद भुलकर भी ना करे ये 3 काम !

माता की प्रसन्नता के लिए नवरात्रों में अष्टमी अथवा नवमी के दिन कन्या पूजन कर उन्हें खाना खिलाने का का विधान है।अष्टमी के दिन नवरात्रों का परायण करने वाले अष्टमी के दिन अपने व्रतों का भी परायण करते है | नवमी के दिन नवरात्रों का परायण करने वाले नवमी के दिन अपने व्रतों का भी परायण करते है। कुमारी कन्या माँ का प्रत्यक्ष स्वरूप है , कुमारी पूजन का इस व्रत के लिए सबसे अधिक महत्व है। इसके लिए 2-10 वर्ष की आयु वाली कन्या पूजन योग्य मानी जाती है…

राम भक्त ‘हनुमान’ जी से सीखें जीवन प्रबंधन के ये दस सूत्र!!!!!

हनुमान जी को कलियुग में सबसे प्रमुख ‘देवता’ माना जाता है। रामायण के सुन्दर कांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसके अनुसार हनुमान जी का किरदार हर रूप में युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। हनुमान जी को कलियुग में सबसे असरदार भगवान माना गया है। हनुमान जी के बारे में तुलसीदास लिखते हैं ‘संकट कटे मिटे सब पीरा,जो सुमिरै हनुमत बल बीरा’। हमेशा अपने भक्तों को संकट से निवृत्त करने वाले हनुमान जी ‘स्किल्ड इंडिया’ के जमाने में युवाओं…

कौन से भगवान की पूजा किस फूल से करें, जिससे आपकी हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो जाती है

कौन से भगवान की पूजा किस फूल से करें, जिससे आपकी हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो जाती है श्रीगणेश- आचार भूषण ग्रंथानुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाए जा सकते हैं। शंकरजी- भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार,व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम,आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है। सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी प्रिय हैं।भगवती गौरी- शंकर भगवान…

इक्यावन शक्ति पीठों में से एक माँ ज्वालामुखी देवी की कथा

इक्यावन शक्ति पीठों में से एक माँ ज्वालामुखी देवी की कथा हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किलो मीटर दूर स्तिथ है ज्वालामुखी देवी। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवो को जाता है। इसकी गिनती माता के प्रमुख शक्ति पीठों में होती है। मान्यता है यहाँ देवी सती की जीभ गिरी थी। यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहाँ पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है बल्कि पृथ्वी के…

माँ दुर्गा से सीखें नेतृत्व के यह छह गुण | डॉ0 विजय शंकर मिश्र

नवरात्रि में हम देवी दुर्गा के रूप में शक्ति की पूजा करते हैं। आसुरी शक्तियों पर दैवीय शक्तियों के विजय के रूप में दशहरा मनाया जाता है। हमारे अंदर भी कुछ बुरी ताकतें होती हैं जो हमारी अच्छाई पर हावी होना चाहती हैं। ऐसे में बुराई पर अच्छाई को प्रबल बनाने का संकल्प लेकर हमारे अंदर के बेहतरीन लीडर को तलाश और तरास सकते हैं 1.निडरता और अंदरूनी शक्ति: दुर्गा शब्द दुर्गम से बना है जिसका तात्पर्य निडरता से है। चाहे कितनी भी बड़ी विपत्ति आ जाए, संकल्पों का साथ…