जानें सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण को विस्तार से, सूतक अवधि, मोक्ष का समय और राशियों पर दुष्परिणाम |

रविवार सूर्य ग्रहण का सूतक, स्‍पर्श एवं मोक्ष का समय- बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज (श्री धाम अयोध्या जी)

श्री संवत् 2077 शकः 1942 आषाढ़ कृष्ण 30 रविवार दिनांक-21 /06/2020 को खण्ड ग्रास सूर्य ग्रहण होगा। यह सूर्य ग्रहण भारत वर्ष में भी दिखाई देगा। लेकिन इसे नंगी आंखों से देखने का प्रयास बिलकुल भी न करें। इस दौरान यह सूर्य ग्रहण भारत सहित विश्वके अनेक हिस्सों अफ्रीका(पश्चिम-दक्षिण भाग को छोड़ कर), दक्षिण-पूर्व यूरोप,मध्य-पूर्व के देशों में, एशिया(उत्तर-पूर्वी रुस को छोड़ कर),इन्डोनेशिया, माइक्रोनेशिया में दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण का स्पर्श समय:-


सुबह 10 बजकर 01 मिनट,मध्य दोपहर 12 बजकर 36मि.और मोक्ष दोपहर 01 बजकर 36 तक रहेगा। हालांकि इस बार सूर्य ग्रहण रविवार को लग रहा है। ऐसे में 12घंटे पहले, 20 जून 2020 शनिवार को ही रात 10:00बजे से सूतककाल शुरू हो जाएगा। इस ग्रहण का प्रभाव प्रथ्वी पर 21/06/2020 दिन रविवार को दोपहर 01बजकर 36.मि.(ग्रहण मोक्ष)तक रहेगा। इस तरह इस सूर्य ग्रहण की अवधि 03घण्टे और 35मि.की होगी। सूर्य ग्रहण को कभी भी नग्न आखों से नहीं देखना चाहिए, सूर्य ग्रहण देखने के लिए सोलर फिल्टर वाले चश्मे का प्रयोग करना चाहिए ताकि आखों को नुकसान नहीं पहुंचे। चंद्र ग्रहण को खुली आंखों से देखा जा सकता है।

सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्‍त सावधानियां बरतनी चाहिए। दर्भ(कुशा)एवं तुलसी दल दोनों साथ में रखे। अपने पूजास्थल व खाद्य पदार्थों में भी कुशा व तुलसी का पत्ता रखें। बालक, वृद्ध, रोगी एवं असहाय स्त्रीयों और पुरुषों को छोड़कर दूसरे लोगों को भोजन का त्‍याग करना चाहिए।गर्भवती महिलाओं को केश खुला रखना चाहिए, अपने साथ दर्भ(कुश)और तुलसी दल रखना चाहिए। हालांकि आंशिक और कुण्डलाकार ग्रहण में सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही ढ़कता है यह सूर्य ग्रहण कुण्डलाकार है। कुण्डलाकार आकृति बनाता है। इसलिए ग्रहण का नाम चूडामणी है। लेकिन यह पूर्ण ग्रहण से अलग होता है।

इस समय सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।राहू मंत्र जाप करना एवं करवाया जाना श्रापित योग वालों व ग्रहण दोष योग वालों के लिये हितकर है। गर्भवती महिलाओं को संतान गोपाल मंत्र का जाप करना उत्तम कहा जाता है। ग्रहण के दौरान पानी व भोजन से दूर रहना चाहिए। ग्रहण काल मे तंत्र शास्त्र के व शाबर मत्रों की साधना शीध्र फलदायक होती है व पहले की सिद्दी रुपी साधना का नवीनीकरण भी करना चहिये।नाम जप व गुरु मंत्र जप करना सभी के लिये लाभ दायक है ग्रहण काल में किया गया जप अनन्त गुणा फल देता है।

 

इस सूर्य ग्रहण का राशियों पर प्रभाव:-

  • मेष: सामाजिक प्रतिष्ठा में होगी वृद्धि, लोगों से मिलेगा मान-सम्मान।
  • वृषभ: आर्थिक पक्ष और कार्यक्षेत्र के लिए नुकसानकारी रहेगा, ऐसे में थोड़ा सावधान रहें।
  • मिथुन: वाहन सावधानी से चलाएं। दुर्घटना में चोटिल होने की संभावना है। लड़ाई-झगड़ा भी हो सकता है।
  • कर्क: जमीन-जायदाद से जुड़े मसले पर विवाद होने की संभावना है।
  • सिंह: दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। जीवनसाथी के माध्यम से किसी प्रकार का आर्थिक लाभ हो सकता है।
  • कन्या: सूर्य ग्रहण आपके लिए कोई शुभ समाचार ला सकता है।
  • तुला: इस समय खुद को शांत रखें क्योंकि आपका किसी से वाद-विवाद हो सकता है।
  • वृश्चिक: आपको इस दौरान किसी प्रकार के कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।
  • धनु: दांपत्य जीवन को लेकर तनाव रहेगा। जीवनसाथी की सेहत में गिरावट आ सकती है।
  • मकर: आपके लिए ग्रहण शुभ है। इससे आपको लाभकारी परिणाम प्राप्त होंगे।
  • कुंभ: ग्रहण के अशुभ प्रभाव से आपको मानसिक बेचैनी रहेगी। आपको तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
  • मीन: ग्रहण के अशुभ प्रभाव से आपकी सेहत बिगड़ सकती है। मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ सकता है।

 

देश व दुनिया पर होगा सूर्य ग्रहण का यह प्रभाव:-


यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में मिथुन राशि पर होगा। ज्‍योतिष गणना के अनुसार इसका प्रभाव एक प्रकार से मिला जुला रहेगा। आंधी, तूफान, भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका है। देशों के बीच युद्ध की भी स्थिति बन सकती है। हालांकि सभी को अभी संभलकर रहने की जरूरत है।

सूर्य ग्रहण के प्रभाव स्‍वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी राष्‍ट्रों के आपसी तनाव, अप्रत्‍यक्ष युद्ध, महामारी, किसी बड़े नेता की हानि, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में वृद्धि, आर्थिक मंदी आदि बढ़ने के संकेत हैं। जहां तक भारत की बात है, विश्‍व में भारत का प्रभाव बढ़ेगा। इस महामारी से कई देशों को नुकसान होगा।

कोरोना संक्रमण के संबंध में ज्‍योतिषीय गणना ने दिया है यह संकेत:-
ज्‍योतिषीय गणना के अनुसार इस सूर्य ग्रहण के बाद कुछ इस प्रकार के योग निर्मित होंगे, जिससे कोरोना संक्रमण में कमी आना शुरू होगी। इसके बाद अगस्‍त में संक्रमण के मामले और घटेंगे। फिर सितंबर तक यह समाप्‍त हो सकता है, ऐसी संभावना है।

 

कोरोना और सूर्य ग्रहण का यह है कनेक्‍शन:-


भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण जनवरी 2020 के बाद तेजी से फैलना शुरू हुआ था। इससे पहले 26 दिसंबर, 2019 को सूर्य ग्रहण लगा था। ज्‍योतिषीय गणना के अनुसार 2019 का ग्रहण बेहद नकारात्‍मक परिणाम देने वाला था, इसके परिणाम स्वरूप ही यह महामारी उत्पन्न हुई। ग्रहण से उत्पन्न यह संकट ग्रहण से ही समाप्‍त हो सकता है। 21 जून के ग्रहण के बाद एक पक्ष यानी15 दिन के भीतर कोरोना के संक्रमण में कमी आना शुरू हो सकती है।। शायद जिनको याद होगा 25 साल पहले घटित हुए 24* अक्टूबर 1995 के ग्रहण की याद दिलाएगा। उस दिन भी पूर्ण सूर्य ग्रहण के चलते दिन में ही अंधेरा छा गया था। पक्षी घोंसलों में लौट आए थे। हवा ठंडी हो गई थी।

 

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इस बार सूर्य ग्रहण के साथ एक और संयोग है। यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना का निर्माण कर रहा है। यह ग्रहण ऐसे दिन होने जा रहा है जब उसकी किरणें कर्क रेखा पर सीधी पडेंगी। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी* रात होती है।
यह सचमुच रोचक बात है कि पृथ्‍वी का चंद्रमा आकार में सूर्य मेंबहुत छोटा है।सूर्य इससे 400 गुना बड़ा है। जब ग्रहणघटित होता है तो दोनेांका आकार हमें पृथ्‍वी से देखने पर समान मालूम पड़ता है। तभी तो सूर्य पूरा ढंक जाता है। हालांकि दोनों का जो आभासीयआकार है, वह मात्र आधी डिग्री का ही है। सच्‍चाई यह है कि सूर्य चांद से 400 गुना बड़ा है, इसके बाद भीचांद सूर्य की किरणों को पृथ्‍वी पर आने से रोक देता है।

नंगी आंखों से ना देखें, बुरा होगा अंजाम


सूर्य ग्रहण को भूलकर भी खाली या नग्‍न आंखों से देखने की गलती नहीं करना चाहिये। यह आंखों के लिए बेहद नुकसानदायक है। इससे कुछ ही समय बाद आंखों की रोशनी जा सकती है। ग्रहण को देखने के लिए हमेशा सोलर चश्‍मा पहनें एवंजानकारों की सलाह के अनुसार ही सेफ डिवाइस का यूज करें।*

कंकणाकृति ग्रहण होने का यह है मतलब


कंकणाकृति के ग्रहण के समय सूर्य किसी कंगन की भांति नज़र आता है। इसलिए इसे कंकणाकृति ग्रहण कहाजाता है। पिछली बार वर्ष 1995 के पूर्ण ग्रहण केसमय ऐसा ही हुआ था। मिथुन राशि में लगेगा ग्रहण, ७ ग्रह होंगे वक्रीय सूर्य चंद्र बुध सूर्य राहु की युति एवं 6 ग्रह वक्री हैं बुध, गुरु, शुक्र शनि राहु और केतु तथा मृगशिरा नक्षत्र में 4 ग्रहों की युति ।

इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकती है।


जैसे – कोई बड़ा बम विस्फोट, आगजनी समस्या, अनकहीं घटना, युद्ध, आकाशीय घटना,भूकम्प, तूफान, उच्च स्तरीय नेताओं की असामयिक मृत्यु, एवं सीमा पर उठा-पटक की संभावना बन सकती है। विशेष बात ये है कि इसग्रहण में सूतककाल मान्य होगा, जो कि ग्रहण से 12 घंटे पूर्व लगेगा। इस सूर्यग्रहण इस दिन ७ ग्रह वक्री होंगे जो कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जा रहा है। हालांकि कंकणाकृति होने का अर्थ यह है कि इससे कोरोना* का रोगनियंत्रण में आना शुरू हो जाएगा, लेकिन अन्‍य मामलों में यह ग्रहण अनिष्‍टकारी प्रतीत हो रहा है।।

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