वसई से गोरखपुर की श्रमिक ट्रेन पहुंची उड़ीसा | बेबस यात्री हुए परेशान, वीडियो द्वारा व्यक्त किया आक्रोश | वीडियो देखें |

महाराष्ट्र के वसई स्टेशन से प्रवासी मजदूरों को लेकर उत्तर प्रदेश – गोरखपुर जाने वाली ट्रेन ओडिशा के राउरकेला स्टेशन पहुंच गई।
21 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर मुंबई के वसई स्टेशन से चली श्रर्मिक एक्सप्रेस को 22 मई को गोरखपुर पहुंचना था लेकिन गोरखपुर ना पहुंचकर वो ओडिशा पहुंच गई। जब ट्रेन राउरकेला पहुंची तो मजदूरों में अफरातफरी मच गई।

यात्रियों को पहले ही हो गया संदेह


यात्रियों का कहना है की जैसे ही ट्रेन ने महाराष्ट्र के भुसावल स्टेशन से नागपुर के रूट पर रफ़्तार पकड़ी वैसे ही उन्हें इस घटना का संदेह हो गया था और उन्होंने पुलिस कर्मचारियों को इस बारे में आगाह भी किया। पर ट्रेन में मौजूद टीटी या पुलिस ने उन्हें इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी। बस यही कहते रहे कि आगे ट्रैक पर दिक्कत है इसलिए इस रास्ते से लाया गया है। हालाँकि ऐसी गलती की अपेक्षा नहीं थी पर फिर भी ट्रेन चालक बीच राह में ही रास्ता भटक गए और ओडिशा के राउरकेला स्टेशन पहुंच गए।

एक यात्री ने ट्वीट करके किया था आगाह :

प्रवासी मजदूरों की परेशानी बढ़ी


श्रमिक ट्रेन में मौजूद मजदूर भारी परेशानी में हैं क्योंकि उनके पास खाने को कुछ नहीं है, जो खाना वो साथ लेकर चले थे वो या तो ख़त्म हो गया है गर्मी की वजह से ख़राब हो गया है। इस बीच जब हमारी बात एक प्रवासी से हुई तो उन्होंने बताया की उनके पास खाने को कुछ नहीं है, जो लेकर आए थे सब गर्मी में खराब हो गया, फिर भी भूख की वजह से खराब हो चुका खाना ही खा रहे हैं। खबर यहाँ तक मिली है की ओडिशा पहुंचने तक ट्रेन के टॉयलेट का पानी भी पूरी तरह से ख़त्म हो गया है। आपको बता दे की ट्रैन में सफर करने वाले प्रवासी मजदूरों में बच्चे और महिलाएं भी है। रेल प्रशासन ने अभी तक ट्रेन में पानी की व्यवस्था नहीं की है।

विक्रम प्रताप सिंह और प्रताप फाउंडेशन ने निभायी अहम भूमिका


DearFact की टीम को सूत्रों से पता चला है की यह श्रमिक स्पेशल ट्रैन की पूरी तरह से प्रवासी मजदूरों के लिए निशुल्क थी। आपको बता दे तो प्रवासी मजदूरों के लिए वसई से गोरखपुर तक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए विक्रम प्रताप सिंह और प्रताप फाउंडेशन ने पहल की थी । विक्रम प्रताप सिंह और प्रताप फाउंडेशन द्वारा शुरू की गयी इस मुहीम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय उद्धव ठाकरे साहब व सांसद श्री राजन विचारे एवं विधायक श्री प्रताप सरनाईक जी ने भरपूर सहयोग किया। मिरा भईन्दर के लोगों को वसई से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन में, तमाम उत्तर भारतीय नेता और मौजूदा विधायक गीता जैन, पूर्व विधायक नरेन्द्र मेहता, पूर्व राज्य मंत्री अमरजीत मिश्रा, प्रोटोकॉल सचिव संतोष पान्ङे द्वारा बिठाया गया ।

वसई स्टेशन पर हुई थी खाने पीने की व्यवस्था


विक्रम प्रताप सिंह और प्रताप फाउंडेशन ने अथक मेहनत कर के श्रमिकों के लिए वसई स्टेशन पर ही उनके ट्रेन में खाने पीने का पूरा इंतज़ाम किया था। रेल प्रशासन ने प्रवासियों के लिए ट्रेन में खाने पीने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई। ट्रेन अभी झारखंड में है, प्रवासी मजदूरों को खाना मुंबई में मिला था, उसके बाद से ना खाना मिला है ना पानी । मजदूरों ने बताया की ट्रेन बीच में अगर स्टेशन पर रूकती है तो ही वो पानी भर पा रहे है उसके अलावा पीने के पानी की भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।

ओडिशा से गोरखपुर की दुरी है लगभग 800 किलोमीटर


मुंबई के वसई से जो श्रमिक ट्रेन चली है उसके टिकट पर साफ-साफ रूट लिखा है. टिकट पर लिखे रूट के मुताबिक ट्रेन को वसई कल्याण होते हुए खंडवा, इटारसी और जबलपुर के रास्ते गोरखपुर पहुंचना था। अब मजदूरों को अपने घर पहुंचने के लिए ओडिशा से गोरखपुर करीब 800 किलोमीटर का सफर करना होगा।

कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने ट्वीट कर एक प्रवासी मजदुर का वीडियो किया शेयर :

श्री विद्याशंकर चतुर्वेदी जी से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके बिल्डिंग के 6 -7 लोग गए उस विशेष ट्रेन में सफर कर रहे हैं। जब उन्हें ये खबर मिली तो उन्होंने तुरंत मामले की पूरी जानकारी लेने के लिए अपने मित्र को फ़ोन लगाया। श्री विद्याशंकर चतुर्वेदी जी का कहना है की उनके मित्र उनसे बात करते -करते रो पड़े , और बताया कि “कोई व्यवस्था नहीं है ट्रेन में, लेट्रिन बाथरूम में पानी तक नहीं है। कहीं कोई सामान नहीं मिल रहा है जो लोग लिए थे सब खा गए ,अब कुछ भी नहीं हम लोगों के पास में सही सलामत होते हुए भी हमलोग मौत के गाल में डाल दिए गए हैं। ”

श्री विद्याशंकर चतुर्वेदी जी ने आगे कहा की अगर इस ट्रेन में रेलवे के या उनके परिवार के लोग होते तो समझते कि दुःख क्या होता है। उस ट्रेन में सवार लगभग 1200 से 1400 यात्री 26 से 28 घंटे की यात्रा अब 65 से 70 घंटे में पूरी करेंगे, यह बेहद अफसोसनाक बात है।

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