श्रम कानून में बदलाव से किसके माथे पर आई शिकन ?

3 राज्य की सरकारों ने लेबर लॉ में बड़े परिवर्तन की घोषणा की। जो उद्योग और कारोबारियों के लिये किसी वरदान से कम नही। लेकिन इस बदलाव से श्रमिक यूनियन खुश नज़र नही आ रहे। दरअसल अब इन संगठनों को श्रमिकों के शोषण की चिंता सता रही है। आखिर क्या कह रहे ये संगठन?

_संगठनों के मुताबिक उद्योगों को जांच और निरीक्षण से राहत देने का दूसरा मतलब कर्मचारियों के शोषण की सरकारी छूट

_शिफ्ट और वर्क पीरियड में बदलाव की मंजूरी देने से बिना छुट्टी कई घंटे करने पड़ सकते हैं काम

_संगठनों के मुताबिक मजदूरों के काम करने की परिस्थिति और उनकी सुविधाओं पर नही होगी निगरानी

_छिन जाएगा मजदूरों के हक़ के लिये आवाज़ उठाने का अधिकार

_ये भी डर है कि व्यवस्था जल्द पटरी पर ना लौटने पर वेतन कटौती के साथ बड़े पैमाने पर होंगी छंटनी

_अब उद्योगों को बन्द करने से पहले
श्रमिकों का पक्ष या मंजूरी ज़रूरी नही

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