‘पीडी’ ने बताया ‘ ग्लोबल’ और ‘लोकल’ का कॉम्बिनेशन ‘ग्लोकल’ बनना था सुशांत को |

सुशांत सिंह राजपूत की डायरी में जिन चीजों ने लोगों को असमंजस में डाला उसमें से एक नाम था ‘पीडी’। लोग जानना चाह रहे थे कि यह ‘पीडी’ क्या है। सुशांत की डायरी के पन्नों पर लिखा यह कैरक्टर दरअसल पंकज दुबे है, जो कि एक लेखक है। इस बात की जानकारी खुद पीडी ने ही दी है।

पंकज दुबे ने एक इंटरव्यू में कहा कि “यह मानना ही उनके लिए बेहद मुश्किल है कि सुशांत डिप्रेशन में थे। मेरी पत्नी श्रद्धा से भी काफी अच्छी दोस्ती थी और सुशांत ने श्रद्धा का नाम भी अपने डायरी के पन्नों पर कई बार लिखा है”।

पंकज ने बताया कि “सुशांत काफी सुलझा और पॉजिटिव इंसान था और वह हमेशा बड़े सपने देखता था। सुशांत ‘ग्लोकल’ होना चाहता था यानी ‘ग्लोबल’ और ‘लोकल’ का कॉम्बिनेशन। सुशांत से मेरी कई बार उसके प्रॉजक्ट को लेकर बातें होती थीं और पर वह कभी भी डिप्रेशन में नहीं था”।

पंकज दूबे ने आगे बताया कि “सुशांत एक मोटिवेटेड इंसान था और हमेशा अच्छा करने का सपना देखता था। वह हमेशा विस्तार में यकीन रखता था और मल्टीटास्किंग पर्सनैलिटी था। तो वो सबकुछ था, पर डिप्रेशन में नहीं था”।

पंकज दुबे ने कहा कि “सुशांत में लाइफ में आगे बढ़ने और कुछ बड़ा करने की हिम्मत थी और इसके लिए उसके पास बेहतरीन सुलझा हुआ दिमाग था। लोग यह नहीं जानते होंगे कि सुशांत के पास लिखने की भी आग थी, वह अपने हॉलिवुड प्रॉजेक्ट्स की भी प्लानिंग में लगा था और साथ ही यह भी सोचता था कि भारत को और बेहतर किया जा सकता है”।

पंकज दूबे ने अपना शक जताते हुए कहा कि “जब यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि सुशांत डिप्रेशन में था तो बहुत हैरानी होती है। हमने बहुत सारी चीजें साथ में की हैं। वो एक बेमिसाल इंसान था, जो जिंदगी में काफी बड़ा करने की हिम्मत रखता था। उसके पास एक बेहतरीन और सुलझा हुआ दिमाग था और कई लोगों से बेहतर दिमाग था। मैं कोई दिमागी सेहत बताने वाला विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन अपने अनुभवों से कह सकता हूं कि वह काफी फिट था”।

पंकज दूबे ने इस इंटरव्यू में साफ-साफ कहा कि “सुशांत का केस आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का ही मामला है”।
विडियो देखें:-
(सौजन्य: Republic bharat )

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