अगर पास होते आप। कवयित्री जिगना “जिग्यासा”

कुछ आस कुछ पास
कुछ होने का अहसास
कुछ मन की आवाज
रहने देते खुद के अंदाज
तुम…
रहने देते खुद के अंदाज..
तो महक जाते हमारे भी आगाज
दिल के करीब हो तुम
दिल के करीब हो
ये बात समझ लेते
तो होता हमारा भी कुछ अलग ही मिजाज
लोगो की बातो का क्या
आप पास होते तो
लम्हा भी होता खास
समझते आप हमे
ये चाह रहती हमारी
उनका ही ख्याल था
अक्सर जो ठहरा रहा
कुछ बाते जो अनकही सी रही

काश…

अगर पास होते आप।

कवयित्री
जिगना ” जिग्यासा”

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2 Thoughts to “अगर पास होते आप। कवयित्री जिगना “जिग्यासा””

  1. Pratik mehta

    Verry nice poem and nice word
    Hert touching words
    Feeling lovely

  2. Shaikh razzik

    Kya bat bhut hi khoob…dil ko chu gayi 👌👌👌😘😘😘😘

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