पालघर की घटना के पीछे का सच | Special News on Palghar Lynching

 

 

महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारे गये 2 साधुओं समेत तीन लोगों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने 110 लोगों के खिलाफ कार्यवाही की है। पुलिस ने इनमें से 101 लोगों को हिरासत में लिया गया है जबकि 9 नाबालिगों को नाबालिग सेंटर होम में भेजा गया है।

लेकिन इस घटना पर अब महाराष्ट्र सरकार कड़ा रुख अपनाने जा रही है। सरकार ने ये साफ कर दिया है कि जो कोई भी इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जाएगी। सरकार ने यह भी बताया है कि यह घटना आदिवासियों के गांव में हुई है जहां लोग खुद चोर और डाकुओं की अफवाह फैलने के बाद गांव की चौकीदारी कर रहे थे। इस घटना पर शुरुआत से डालते हैं एक नजर…

 

ऐसे हुई थी शुरुआत
पालघर जिले के दाभडी खानवेल रोड स्थित आदिवासी ग्रामीण इलाके में लोग अपने गांव की पहरेदारी में लगे थे, उन्हें खबर मिली थी कि उनके गांव में चोर, डाकु घुस आए हैं। इसके बाद 15 अप्रैल की शाम को ग्रामीणों ने एक सरकारी मेडिकल टीम पर इसी भ्रम में हमला कर दिया कि वो लोग चोर हैं। उस टीम में भी एक पुलिस इंस्पेक्टर,  एक डॉक्टर और तीन पुलिसकर्मी शामिल थे। बड़ी ही मुश्किल से उन लोगों ने ग्रामीणों से अपनी जान बचाई।

ठीक यही घटना 16 अप्रैल की रात घटी जब लोग पहरेदारी कर रहे थे और सामने से आती कार में 2 साधु सवार थे। इस कार को देखते ही ग्रामीण सतर्क हो गये और उन्होंने कार रोकने का इशारा किया। लेकिन जब कार रुकी नहीं तो भीड़ ने उस कार पर पत्थरबाज़ी शुरू कर दी। जिसके बाद गाड़ी के ड्राइवर ने पुलिस को सूचना दी।

गांव वालों ने कर दिया हमला
लेकिन इससे पहले ही, गांव वालों ने कार के रुकते ही गाड़ी में सवार तीनों लोगों को उतारा और उनकी पिटाई करना शुरू कर दी। इस बीच कार सवार लोग गांव वालों को समझाने की कोशिश में लगे रहे लेकिन ग्रामीण लोगों ने उनकी एक न सुनी और उन्हें जनकर पिटा।

इसी दौरान पुलिस वहां पहुंची और पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की। लेकिन भीड़ ने एक न सुनी और पलट कर पुलिस पर भी हमला बोल दिया। इस हमले में कासा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के अलावा जिले के एक सीनियर पुलिस अधिकारी समेत कुल पांच पुलिसकर्मी घायल हुए और पुलिस का एक वाहन भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

तीनो की हुई मौत
इस दौरान भीड़ ने कार सवार तीनों लोगों को पीट-पीट कर मार डाला। मरने वालों में दो साधु और गाड़ी का चालक शामिल था। बाद में पुलिस ने भारी पुलिस बल बुलाया और तीनों शवों को
पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

इसके बाद इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया जिसके बाद यह मामला तेजी से फैलता चला गया। पहले मीडिया और फिर राजनीतिक गलियारे में इस घटना ने जनकर बवाल काटा। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बयान जारी किया, कि दूसरे राज्य में बिना इजाजत के तीन लोग जा रहे थे, ग्रामीणों ने उन्हें चोरी की शंका के चलते पकड़ा और उनपर हमला किया, जिसमें तीनों की मौत हो गई।

ऐसे भड़का मामला
पुलिस ने बताया कि वो तीनों नासिक की ओर जा रहे थे। इनमें एक ड्राइवर, जबकि दो साधु थे। जिनकी पहचान सुशीलगिरी महाराज, नीलेश तेलगड़े और जयेश तेलगड़े के रूप में हुई है। लेकिन इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार पर बीजेपी ने हमला तेज कर दिया। देशभर में बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया आने लगी। प्रज्ञा ठाकुर, साक्षी महाराज, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सख्त कार्रवाई की मांग की।

सीएम ने कड़ी कार्यवाई के दिए आदेश
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर कई बॉलीवुड सितारों ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी और आलोचना करते हुए भीड़ को समाज के लिए खतरनाक बताया जबकि इस बारे में राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये हिंदू-मुस्लिम जैसा कोई मामला नहीं है, इस बारे में मेरी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी बात हुई है। ये धर्म से जुड़ा मामला नहीं है, लेकिन जो लोग सोशल मीडिया मामला भड़काने की कोशिश कर रहे हैं उन पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी।

लेकिन वहीँ, इस मामले का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। उसमें भीड़ और पुलिस की सच्चाई कुछ और कहती है, जिसके बारे में अभी तक कोई सफाई पुलिस या प्रशासन की तरफ से नहीं आई है।

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