परमवीर चक्र वीर सपूत अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा जी के पुण्यतिथि पर पढ़े उनकी वीरगाथा |

परमवीर चक्र भारत मां के वीर सपूत अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा जी के 21वीं शहादत दिवस पर कोटि कोटि प्रणाम एवं नमन 


परमवीर शहीद कैप्टन विक्रमबत्राजी का जन्म ९ सितंबर, १९७४ को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले हुआ था। पिता जीएम बत्रा और माता कमल बत्रा है,शुरुआती शिक्षा पालमपुर में और कॉलेज की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चले गये थे। शहीद बत्रा जी के माता जी प्राइमरी स्कूल टीचर,ऐसे में कैप्टन की घर पर ही हुई थी।

कारगिल युध्द में १३ जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स का नेतृत्व किये थे। २० जून, १९९९ को कैप्टन बत्रा जी ने कारगिल की प्वाइंट ५१४० से दुश्मनों को खदेड़ने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटो की गोलीबारी के बाद मिशन में कामयाब हो गए। इस जीत के बाद उनकी प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने जवाब दिया -“ये दिल मांगे मोर”, बस यहीं से इन लाइनों की पहचान मिल गई।

विक्रम बत्रा युध्द मैदान में रणनीति का एक ऐसा योध्दा थे,जो अपने दुश्मनों को अपनी चाल से मात दे सकते थे। उनकी डेल्टा कंपनी ने कारगिल युध्द में प्वाइंट ५१४०, प्वाइंट ४७५०, प्वाइंट ४८७५ को दुश्मन के कब्जे से छुड़ाने में अहम भूमिका थी।

कारगिल युध्द में उस समय शहीद हुए जब वह प्वाइंट ४८७५ से घायल बहादुर सिपाहियों को वापस ला रहे थे। तभी दुश्मन की एक गोली ने उन्हें अपना निशाना बना लिया। २४ वर्ष की उम्र में देश के लिए शहीद हो गये थे, कारगिल युध्द में उनके कभी न भूलने वाले योगदान के लिए सर्वोच्च सम्मान #परमवीर_चक्र से अगस्त १९९९ में सम्मानित किया गया।

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