“टैलेंट पर हावी नेपोटीजम” फ़िल्म ‘वीर सावरकर’ के हीरो ‘शैलेन्द्र गौर’ ने भी किया अपना दर्द बयां | पोस्ट देखें

14 जून को सुशांत सिंह के आत्महत्या के बाद बॉलीवुड में नेपोटीजम को लेकर बहस छिड़ गई है। नेपोटीजम की इस बहस में अब जमकर चर्चाएं हो रही हैं और बहुत सारे आर्टिस्ट हैं जो नेपोटीजम से जुड़े हुए अपनी आपबीती अब सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।

2001 में आई फिल्म “वीर सावरकर” एक बहुचर्चित फिल्म थी। यह फिल्म “विनायक दामोदर सावरकर” के जीवन पर आधारित है। फिल्म में वीर सावरकर के जीवन की मार्मिक घटनाओं को दर्शाया गया है।

अभिनेता शैलेंद्र गौर ने “वीर सावरकर” की भूमिका को अपने बेहतरीन अभिनय से जीवंत कर दिया था, हर तरफ उन के बेहतरीन अभिनय की चर्चा भी हुई।

पर इतनी बेहतरीन फिल्म के बाद भी शैलेन्द्र गौर कहाँ हैं ??

फिर शैलेन्द्र को कोई और बाॅलीवुड फिल्म क्यों नहीं मिली ???

शैलेन्द्र गौर ने Facebook पर एक पोस्ट शेयर किया है और नेपोटीजम किस कदर हावी है टैलेंट पर ऐ बताया है !!

शैलेन्द्र गौर Facebook पोस्ट पर लिखते हैं कि “Nepotism, favouritism, marketium और ना जाने क्या? जिसका मैं इस फ़िल्म इंडस्ट्री में शिकार हुआ…”

मेरा zee award, screen award & sansui award में Best newcomer Award के लिए Nomination था, लेकिन Award मिलता है
तुषार कपूर (‘मुझे कुछ कहना है’.. 5 weeks), और
अर्जुन रामपाल (‘मोक्ष’ 2 weeks) को,
जबकि मेरी फ़िल्म वीर सावरकर’ 32 weeks चली!
Award नहीं मिला तो कोई बात नहीं लेकिन काम तो मिलता, ये नाइंसाफी नहीं है तो और क्या है?”

नेपोटिज़म बताते हुए शैलेन्द्र आगे लिखते हैं की

“बहुत सारे नामचीन Directors ने मेरे काम की तारीफ तो बहुत की, लेकिन काम के नाम पर ठेंगा!

अधिकांश मित्र, जो अच्छा काम कर रहे थे, उन्होंने भी साथ नहीं दिया!
क्या होता है Talent?

कौन करेगा इसकी व्याख्या?

ये तथाकथित मठाधीश?

Actor को कहा जाता है कि हिम्मत रखों, धैर्य रखों, विश्वास रखों, जोश रखों लेकिन इन सबको तो ये निर्दयी इंडस्ट्री रोज खरोचती है, कुछ अपने साथ देने वाले न होते तो ज़िन्दगी कब की उखड़ जाती!

लेकिन दोस्तों! लड़ाई जारी है और जीत सुनिश्चित!”  पोस्ट देखें –

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10207782667761709&id=1744612626

इस तरह बॉलीवुड में व्याप्त भाई भतीजावाद पर अपना दुःख बयां करने वाले शैलेन्द्र गौर अकेले नहीं हैं। सुशांत की मौत के बाद कई बड़े कलकारों ने भी नेपोटिजम को प्रतिभावान कलाकारों के लिए अभिशाप बताया है।

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