जानें विवाह में लिए सात फेरों का महत्व | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |

आखिर हिन्दू विवाह के समय अग्नि के समक्ष सात फेरे ही क्यों लेते हैं? दूसरा यह कि क्या फेरे लेना जरूरी है? सज्जनों! पाणिग्रहण का अर्थ : – पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से ‘विवाह’ के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। कालांतर में इस रस्म को ‘कन्यादान’ कहा जाने लगा। नीचे लिखे मंत्र के साथ कन्या…

“किशोरी जी का काजल” ठाकुर जी के द्वारा किशोरी जी के श्रृंगार की कथा | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज

आज ललिता जू प्रिया जू का श्रृंगार कर रही हैं ।जब श्रृंगार पूर्ण हो गया तो प्रिया जू को दर्पण सेवा करायीविशाखा जू ने। किशोरी जू ने जब अपने मुख चन्द्र को दर्पण मैं निहारा तो! ललिता जू की ओर देखने लगी। आज ललिता जू ने श्रृंगार मैं त्रुटि कर दी थी। किशोरी जी ने कहा-ललिते आज आप काजल लगानो भूल गयी। ललिता जू बोली ‘लाडो जब काजल श्यामसुंदर की याद मैं आँखन सौ बह ही जानो है तो लगावे को लाभ हू कहा है। आप कह रही हो तो…

श्री रुप गोस्वामी जी चेतन्य महाप्रभु के छः शिष्यो में से एक | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |

एक बार भ्रमण करते करते श्री रूप गोस्वामी जी अपने चेले जीव गोस्वामी जी के यहाँ बरसाना आए। . जीव गोस्वामी जी ठहरे फक्कड़ साधू.. . फक्कड़ साधू को जो मिल जाये वो ही खाले जो मिल जाये वो ही पी ले। . आज उनके गुरु आए तो उनके मन भाव आया की में रोज सूखी रोटी, पानी में भिगो कर खा लेता हूं। . मेरे गुरु जी आये हैं क्या खिलाऊँ.. . एक बार अपनी कुटिया में देखा किंचित तीन दिन पुरानी रोटी बिल्कुल कठोर हो चुकी थी। .…

रानी लक्ष्मीबाई के वीरांगना दिवस पर dearfacts.com पर पढ़े रानी लक्ष्मीबाई की संक्षिप्त जीवनी।

रक्त शिराएँ का जब ठहरे कालापानी पढ़ लेना, राजगुरु, अशफाक, भगत की अमर जवानी पढ़ लेना, भारत की नारी मत ढूंढो इन कटरीना कैफों में, भारत की बेटी क्या है, झांसी की रानी पढ़ लेना.. भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना, जिसने अल्पायु में अपने शौर्य और असाधारण कौशल से अंग्रेजों की सेना से महासंग्राम किया और अपने जीवित रहते हुए अंग्रेजों को अपनी झाँसी पर अधिकार नहीं करने दिया। माँ भारती को गौरवान्वित करने वाली झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर पढ़िए विशेष आलेख Dearfacts.com…

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष योगिनी एकादशी व्रत पर्व की महिमा | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज

🌹 एकादशी व्रत कथा 🌹 🙏🏻 युधिष्ठिर ने पूछा: वासुदेव! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? कृपया उसका वर्णन कीजिये। 🙏🏻 भगवान श्रीकृष्ण बोले: नृपश्रेष्ठ! आषाढ़ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार ज्येष्ठ) के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े बडे पातकों का नाश करने वाली है। संसार सागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए यह सनातन नौका के समान है। 🙏🏻 अलकापुरी के राजाधिराज कुबेर सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहने वाले हैं। उनका ‘हेममाली’ नामक एक यक्ष सेवक था,…

जानें क्यों मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है | बाल संत श्री-मणिराम दास जी महराज |

अनंत बलवंत श्री हनुमंत लाल जी महाराज जी को संकट मोचन कहा गया है। वे पलभर में ही भक्तों के बड़े-बड़े संकट समाप्त कर देते हैं। हनुमान जी सीताराम के आर्शीवाद से अष्टचिरंजिव में शामिल है। अत: वे भगवान शिव की तरह ही तुरंत प्रसन्न होने वाले और भक्तों पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाले हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ। अत: मंगलवार के दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। जहां-जहां श्रीराम का नाम पूरी श्रद्धा से लिया जाता है हनुमान जी वहां किसी…

अन्याय का अंत करना ही राम राज्य की स्थापना है | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |

शबरी मईया प्रभु श्री राघवेन्द्र सरकार से निवेदन करती हैं और पूछती हैं कि प्रभु आपको यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राघवेन्द्र सरकार आप यहाँ कहाँ से आते?” 🙏🏻🙏🏻🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹 🌹 सबरी मईया के मुंह से ये शब्द सुनकर मेरे राघव सरकार एकदम गंभीर हो गए। राम जी ने कहा कि “भ्रम में न पड़ो अम्मा! 👉🏻राम क्या रावण का वध करने आया है? अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में…

अपना मान भले टल जाए, पर भक्त का मान न टलते देखा | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज

अपना मान भले टल जाए,पर भक्त का मान न टलते देखा।। बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज भक्त नरसी मेहता जी के जीवन की एक सच्ची घटना एक बार नरसी जी के बड़े भाई नरसी जी के घर आए। पिता जी का वार्षिक श्राद्ध करना था। बड़े भाई ने नरसी जी से कहा :- ‘कल पिताजी का वार्षिक श्राद्ध करना है। कहीं अड्डेबाजी मत करना बहु को लेकर मेरे यहाँ आ जाना। काम-काज में हाथ बटाओगे तो तुम्हारी भाभी को आराम मिलेगा।’ नरसी जी ने कहा :- ‘पूजा पाठ…

मठ बाघम्बरी गद्दी में एक और धार्मिक स्थल का विलय | संत श्री आनंद गिरि जी महाराज सर्वसम्मति से हुए प्रथम महंत

आज रविवार को ब्रम्हचारी कुटी गेझा, सेक्टर 82, नोएडा के तत्त्वाधान में संत श्री आनंद गिरि जी महाराज (शिष्य महंत श्री नरेंद्र गिरि जी महाराज, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व महंत बड़े हनुमान मंदिर, बाघम्बरी गद्दी, प्रयागराज) को सर्वसम्मति से ब्रह्मचारी कुटी, ग्राम गेझा, सेक्टर- 82, नोएडा उत्तर प्रदेश का नवनियुक्त प्रथम महंत व स्थान धारी आनंद पीठाश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि व दिल्ली संत महामंडल कि अध्यक्ष स्वामी विद्या गिरि एवम् अंतर्राष्ट्रीय हिंदू सेना के परमाध्यक्ष श्रीमहंत आदित्य कृष्ण गिरि के संचालन में बनाया गया। इस पावन…

इन नौ जगहों पर मनुष्य की ममता विशेष होती है | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राघवेन्द्र सरकार ने श्री विभीषणजी को बताया कि नौ जगह मनुष्य की ममता रहती है, माता, पिता, भाई, पुत्र, स्त्री, शरीर, धन, घर, मित्र और परिवार में, जहाँ जहाँ हमारा मन डूबता है वहाँ वहाँ हम डूब जाते हैं, इन सब ममता के धांगो को बट कर एक रस्सी बना। सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ। जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ॥ जौं नर होइ चराचर द्रोही। आवै सभय सरन तकि मोही॥ भावार्थ:-(श्री रामजी ने कहा-) हे सखा! सुनो, मैं तुम्हें अपना स्वभाव कहता हूँ, जिसे काकभुशुण्डि, शिवजी और…