अन्याय का अंत करना ही राम राज्य की स्थापना है | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |

शबरी मईया प्रभु श्री राघवेन्द्र सरकार से निवेदन करती हैं और पूछती हैं कि प्रभु आपको यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राघवेन्द्र सरकार आप यहाँ कहाँ से आते?”
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🌹 सबरी मईया के मुंह से ये शब्द सुनकर मेरे राघव सरकार एकदम गंभीर हो गए। राम जी ने कहा कि “भ्रम में न पड़ो अम्मा! 👉🏻राम क्या रावण का वध करने आया है? अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है अम्मा, ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था। जब कोई कपटी भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं! यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक गरीब श्रद्धा भक्ति उमंग उत्साह से भरपुर वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है। राम वन में बस इसलिए आया है ताकि जब युगों का इतिहास लिखा जाय तो उसमें अंकित हो कि सत्ता जब पैदल चल कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे तभी वह रामराज्य है। राम वन में इसलिए आया है ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतिक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं।
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सबरी एकटक राम को निहारती रहीं। राम ने फिर कहा- ” राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता! राम की यात्रा प्रारंभ हुई है भविष्य के लिए आदर्श की स्थापना के लिए। राम आया है ताकि भारत को बता सके कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है l राम आया है ताकि युगों को सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाय, और खर-दूषणो का घमंड तोड़ा जाय। और राम आया है ताकि युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी सबरी के आशीर्वाद से जीते जाते हैं।”
😢सबरी की आँखों में जल भर आया था। उसने बात बदलकर कहा- कन्द खाओगे राम?
राम मुस्कुराए, “बिना खाये जाऊंगा भी नहीं अम्मा…”
🙏🏻सबरी अपनी कुटिया से झपोली में कन्द ले कर आई और राम के समक्ष रख दिया। राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा- मीठे हैं न प्रभु?
🌹🙏🏻 यहाँ आ कर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ अम्मा! बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है…
सबरी मुस्कुराईं, बोलीं- “सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो राम! गुरुदेव ने ठीक कहा था…

🙏🏻 आपका अपना ही-
👉🏻 श्री राम कथा एवं श्रीमद् भागवत कथा के सरस गायक- दासानुदास – मणिराम दास
🙏🏻🌹 संस्थापक- श्री सिद्धि सदन परमार्थ सेवा संस्थान श्री धाम अयोध्या
६३९४६१४८२

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