अतरंगी महफ़िल के साहित्य एवं सांस्कृतिक पर्व में दिखी मिट्टी कि छाप, साहित्य प्रेमियों का लगा जमावड़ा

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अतरंगी महफ़िल द्वारा दो दिवसीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन 19 एवं 20 सितंबर को गूगल मीट के ज़रिए हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत रिलेशनशिप काउंसलिंग से हुई जिसमें वक्ता के रूप में जाने माने सलाहकार विनायक उपस्थित रहे। जिन्होंने संबंधों को आध्यात्मिकता से जोड़कर विभिन्न पहलुओं पर बात की। सत्र का संचालन चिन्मयी पंडा ने किया।
वही दूसरे सत्र में बतौर वक्ता उपस्थित रहे रोहित अदल्लखा ने लोगों को फोटोग्राफी की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने लोगों को आपदा के समय फोटोग्राफी कैसे की जाए ये बात भी बताई। संचालन तान्या नारायण ने किया।
तीसरे सत्र में ‘बियोंड द मीनिंग ऑफ योर नेम ‘ विषय पर इतिहासकार विक्रमजीत सिंह रूपराय ने बात की। उन्होंने इतिहास से जोड़ते हुए लोगों के जीवन के असली मकसद को बताया। यही नहीं विक्रमजीत ने पौराणिक कथाओं और ग्रंथों पर भी बात कि। संचालन समृद्धि गौर ने किया।
चौथे सत्र में अमित अग्रहरि ने युवा लेखक निखिल चेलू, कीर्ति त्रिपाठी और जेएस सत्यम से साहित्य के बारे में चर्चा की। आज के समय में किताब कैसे छापी जाए और क्या बारीकियां होनी चाहिए किताब लिखते समय इस पर भी बातें की गई।
पांचवें सत्र में कपिल पांडे द्वारा की गई किस्सागोई ने सबका मन मोह लिया। उन्होंने कहानी कहने के साथ-साथ लोगों को इस विधा से अवगत कराया। इस सत्र का संचालन नूपुर कपूर ने किया।
वही पहले दिन का समापन संगीतमयी शाम से हुआ जिस का संचालन अमित श्रीवास्तव और अलीशा प्रुस्टी ने किया। जिसमें ता म्यूजिक संस्था के माधव ने फिल्मी गीतों से तालियां बटोरी। वहीं अंत में जुनून – ए – मौसकी संस्था के विवेक शांति विशाल ने शास्त्री संगीत प्रस्तुत कर समा बांधा।

वहीं दूसरे दिन की शुरुआत सृजनात्मक लेखन कार्यशाला से हुई।
पहले सत्र में विभास गौतम ने सृजनात्मक लेखन पर बात की। उन्होंने लोगों को कहानियां और कविताएं लिखने की कला से अवगत कराया।
दूसरे सत्र में फोटोग्राफर वरुण जायसवाल द्वारा करियर इन फोटोग्राफी विषय पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि समय के साथ फोटोग्राफी में नए व्यवसाय आ चुके हैं। आज जरूरत है तो अपने आप को बेहतर बनाने की।
तीसरे सत्र में इतिहासकार रीमा सिंघल ने भारतीय इतिहास की महिलाओं की धूमिल होती छवि विषय पर बात की। उन्होंने बताया कि महिलाओं का योगदान आज़ादी के समय कम नहीं था।
वहीं चौथे सत्र में करियर काउंसलिंग की गई है। जिसमें बतौर वक्ता सीमा सिंह, वाणी राठौर, अमर सिंह,नील देसाई और अनन्या श्रीवास्तव ने अपने-अपने विचार रखे।
पांचवें सत्र में ओपन माइक का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से आए कवि और लेखक ने अपनी अपनी कविताएं और कहानियां प्रस्तुत की।
वहीं अंत में आ ब्लेज द बैंड द्वारा गीतों से शाम सजाई गई।

संयोजक आयुष कपूर और उज्जवल श्रीवास्तव ने बताया कि संस्था का मकसद है कलाकारों को मंच प्रदान करना। उन्होंने कहा कि आज भले देश महामारी से लड़ रहा है पर इसके चलते कला और साहित्य से दूरी नहीं बननी चाहिए। ई प्लेटफॉर्म के ज़रिए आगे भी हम ऐसे कार्यक्रम लेकर आएंगे।

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