हरि नाम की महिमा | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

एक संत जो एक शहर के बस स्टैंड के पास एक वृक्ष की छाया में बैठकर माला फेर रहा था।

एक अंग्रेज बस से उतरा और बाबा के पास जाकर बोला ये आपके हाथ में क्या है?

बाबा ने अंग्रेज के कंधे पर बन्दुक देखी और पूछा: ये क्या है?

अंग्रेज ने कहा ये मेरा हथियार है।

बाबा बोले ये मेरा हथियार है।

अंग्रेज बोला ये आपको किसने दिया?

बाबा बोले यह बन्दुक किसने दी आपको?

अंग्रेज बोला मेरी सरकार ने दी है।

बाबा ने कहा यह माला मेरी युगल सरकार ने मुझे दी है।

अंग्रेज बोला ये क्या काम करती है?

बाबा बोले तेरा हथियार क्या काम करता है?

अंग्रेज ने ऊपर पेड़ पर बैठे पक्षी को गोली मारी और वह पक्षी तड़पता हुआ नीचे गिर गया और बोला ये काम करता है मेरा हथियार!

बाबा ने उस पक्षी को अपनी माला से छूआ और कहा: “राम” वो पक्षी उड़ कर अपने स्थान पर बैठ गया!

बाबा बोले मेरा हथियार ये काम करता है।

उस अंग्रेज ने भी श्री हरिनाम की दीक्षा ली और हरि नाम की महिमा में रंग गया।

आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

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