मृदा में जीवांश कार्बन एवं सूक्ष्म जीवों का विशेष महत्व – डॉक्टर मनोज कुमार सिंह

इफको किसान के द्वारा ऑनलाइन वेबीनार का हुआ आयोजन, कृषि विज्ञान केंद्र कौशांबी के मृदा वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार सिंह ने रखे अपने विचार..

कृषि विज्ञान केन्द्र कौशांबी के मृदा वैज्ञानिक डा.मनोज कुमार सिंह ने आज इफ्को सी.एस.आर,नयी दिल्ली के वर्चुअल प्लेटफार्म के माध्यम से कृषकों के लिए चलाई जा रही कृषि तकनीकी ज्ञान में वृद्धि के लिए चलाई जा रही पाठशाला में प्रतिभाग किया, और अन्नदाताओं को मृदा में” जीवांश कार्बन एवं सूक्ष्म जीवों के महत्व “विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि अच्छी पैदावार लेने के लिए ही हम भूमि में मुख्यत: डी. ए. पी., यूरिया व पोटाश उर्वरक देते हैं। जड़े नमी की अवस्था में घोल के रूप में अपनी खुराक भूमि से लेती है। पौधों को खुराक उपलब्ध कराने में भूमि में मौजूद जीवांश कार्बन व सूक्ष्म जीव सहायक होते है। अब यदि भूमि में जीवांश कार्बन व सूक्ष्म जीव पर्याप्त मात्रा में है, तो पौधों को खुराक आसानी से मिलती रहती है और पैदावार अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि याद रहे सूक्ष्म जीव भूमि में जीवांश कार्बन और नमी की उपलब्धता में ही सक्रिय रहते हैं।

मृदा वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार सिंह ने कहा कि किसान भाइयों ने भूमि में भूमि शोधन करने में, व कीट/ रोग नियंत्रण करने में इतना रसायन भूमि में डाला है, कि भूमि में रहने वाले सूक्ष्म जीव मर चुके हैं। भूमि में ऐसे बहुत से पोषक तत्व (खुराक) पहले से मौजूद हैं , जो सूक्ष्म जीवों द्वारा पौधों को प्राप्त होते हैं। परंतु सूक्ष्म जीव मर जाने के कारण भूमि में उपलब्ध खुराक पौधों को नहीं मिल पाती, जिस कारण पैदावार अच्छी नहीं होती है।
पैदावार बढ़ाने के लिए हम यूरिया, डी. ए. पी. व पोटाश इत्यादि उर्वरकों की मात्रा बढ़ाते चले जाते हैं ,परन्तु भूमि में जीवांश कार्बन और सूक्ष्म जीवों की संख्या बढाने व उन्हें जीवित रखने की तरफ हमारा कोई ध्यान नहीं जाता है। उन्होंने किसानों को चेताते हुए कहा कि याद रहे , यदि हम उर्वरकों कि मात्रा बढ़ाते रहेंगे , तो एक स्तर पर आकर पैदावार रुक जाएगी ।फिर चाहे हम कितना ही उर्वरक क्यों न डालें, पैदावार नहीं बढ़ेगी। पैदावार नहीं बढ़ने का कारण भूमि में जीवांश कार्बन/ ह्यूमस और सूक्ष्म जीवों का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होना ही है। पैदावार बढ़ाने के लिए हमें रसायनिक उर्वरकों की मात्रा बढ़ाने के बजाए भूमि में जीवांश कार्बन और सूक्ष्म जीवों की उपलब्धता बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए।
जीवांश कार्बन/ ह्यूमस के बारे में बताते हुए कहा कि जिस तरह हमारे शरीर के रक्त में हीमोग्लोबिन होता है, ठीक उसी तरह से भूमि का हीमोग्लोबिन जीवांश कार्बन/ ह्यूमस है। यदि हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाए ,तो हम कमजोर हो जाते हैं ।और कोई काम नहीं कर पाते, ठीक इसी तरह यदि भूमि में जीवांश कार्बन/ ह्यूमस कम हो जाए , तो भूमि भी कमजोर हो जाती है। और अच्छी पैदावार नहीं दे पाती। फिर चाहे हम कितना भी उर्वरक क्यों ना डालें , तब भी अच्छी पैदावार नहीं होगी। इसलिए अन्नदाताओं को अपनी भूमि में दिनों दिन घटते जीवांश कार्बन की प्रतिशतता जोकि ०.३% पर आ गई है को सूक्ष्म जीवों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कम्पोस्ट,हरी खाद,वर्मी कम्पोस्ट इत्यादि का प्रयोग करने की आवश्यकता है। उक्त कार्यक्रम में लगभग ११० लोग लाइव जुड़े रहकर अपने प्रश्नों के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ा रहे थे। उक्त कार्यक्रम का संचालन इफ्को संचार नयी दिल्ली के श्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य ने किया।

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