राजस्थान: सियासी संकट में निर्णायक भूमिका में रहेंगे ये 2 विधायक |

साल 2018 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी_ कांग्रेस के लिये भारतीय ट्राइबल पार्टी एक बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आई।लेकिन अब पार्टी ये दावा कर रही कि सूबे की इस सियासी संकट के वक़्त समाधान निकालने में उसकी बड़ी भूमिका होगी।

दरअसल राज्य की इस राजनीतिक हलचल की शुरुआत में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अपने 2 विधायकों रामप्रसाद डिंडोर और राजकुमार रोत को तटस्थ रहने के निर्देश दिये गये थे। इसी के चलते पार्टी ने 13 जुलाई को व्हिप जारी किया था जिसमें अपने विधायकों से बीजेपी या फिर कांग्रेस में से किसी के पक्ष में वोट ना करने का निर्देश दिया था। लेकिन गहलोत सरकार के साथ शर्तों पर सहमति होने के बाद बीटीपी ने सूबे की सरकार का समर्थन किया है। पार्टी का मानना है कि वो किंगमेकर की स्थिति में हैं।

सीएम अशोक गहलोत ने बीटीपी की आदिवासी क्षेत्रों में विकास के साथ साथ आदिवासी हितों से सम्बंधित मांगें पूरा करने का आश्वासन दिया।जिसके बाद ही गहलोत सरकार को समर्थन देने का फैसला किया। पार्टी के मुताबिक आदिवासी मसलों को लेकर ही वे कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ खड़े थे। लेकिन सरकार से सभी मुद्दों पर साथ का आश्वासन पर ही सरकार को समर्थन दिया।सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीटीपी विधायक डिंडोर के मुताबिक वो और उनके साथी विधायक रोत, गहलोत सरकार के साथ है।

आपको याद होगा कि डूंगरपुर जाने के दौरान जयपुर पुलिस ने विधायक रोत की गाड़ी की चाभी छीन ली थी जिसका वीडियो रोत ने जारी किया था जो काफ़ी वायरल हो गया था। विधायक रोत ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस उन्हें जाने से रोक रही है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद बीजेपी ने पुलिस के इस रवैये को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा था। लेकिन घटना के बाद रोत अपने बयान से पलट गये। उनका कहना था कि पुलिस को महज़ गलतफहमी हो गयी थी।

गौरतलब है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव से राजस्थान में प्रवेश करने वाली पार्टी ने सूबे के दक्षिणी इलाकों के आदिवासी इलाक़ों में 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे। जिसमे से 2 विधायक विजयी हुए थे। पार्टी के ज़्यादातर प्रत्याशी युवा थे। उस वक़्त चुनाव जीतने वाले विधायक रोत महज़ 26 साल के थे।गौरतलब है कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने के कथित साजिश के मामले में एसओजी द्वारा 10 जुलाई को मामला दर्ज किया गया। जिसके बाद ही सूबे में सियासी संकट शुरू हो गया। जिसके चलते अब तक 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

आपको याद दिला दें कि मुश्क़िल उस वक़्त और भी बढ़ गयी जब सचिन पायलट ने व्हाट्सएप ग्रुप में दावा किया कि गहलोत सरकार अल्पमत में चल रही है। वही सचिन के पास 30 विधायकों को समर्थन है। पूरे विवाद के बाद गहलोत मंत्रिमंडल से सचिन पायलट, विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को हटा दिया गया। वहीं विधायक भंवरलाल शर्मा और विश्वेन्द्र सिंह को साजिश में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

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