राजस्थान: आखिर कौन हैं डोटासरा! जिन्हे कांग्रेस ने बनाया है सूबे की सियासत का नया ‘पायलट’

राजस्थान: आखिर कौन हैं डोटासरा! जिन्हे कांग्रेस ने बनाया है सूबे की सियासत का नया ‘पायलट’


राजस्थान कांग्रेस में चल रही अहम की लड़ाई के बाद सचिन पायलट पर पार्टी ने अनुशासनात्मक कारवाई की है। कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट का प्रदेश अध्यक्ष का पद छीन कर सूबे के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को पार्टी की बागडोर सौंप दिया है। आपको बता दें कि प्रदेश के लक्ष्मणगढ़ विधानसभा से लगातार तीसरी बार विधायक बने गोविंद सिंह, गहलोत के सबसे नज़दीकी नेताओं में से एक हैं।

सूबे के नये प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की पैदाइश 1 अक्टूबर 1964 की हैं। लक्ष्मणगढ़ के ‘कृपाराम जी की ढाणी’ गांव में इनका जन्म हुआ था। गोविंद के पिता मोहन सिंह डोटासरा सरकारी स्कूल के टीचर थे। गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की शिक्षा ली है। दरअसल गोविंद सिंह डोटासरा जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो राजस्थान की राजनीति में काफी अहमियत रखता है। यूं तो जाट समुदाय के लोग बीजेपी के कोर वोटर्स माने जाते हैं। लेकिन एक रणनीति के तहत ही यानि जाट समुदाय को साधने के लिए ही कांग्रेस आलाकमान ने पायलट की जगह डोटासरा को प्रदेश पार्टी का ज़िम्मा सौंपा है।

डोटासरा, छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े रहे। जिसके बाद यूथ कांग्रेस का साथ थामा। गोविंद सिंह ने यूथ कांग्रेस में रहते हुए अलग अलग पदभार सम्भाला। साल 2005 में डोटासरा ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लक्ष्मणगढ़ जिले से पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में हाथ आजमाया। चुनाव में गोविंद सिंह ने जीत हासिल कर लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान की जिम्मेदारी सम्भाली। इसके बाद गोविंद सिंह ने अपने राजनैतिक सफर में कभी पलटकर नहीं देखा। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह को डोटासरा का राजनीतिक गुरु कहा जाता है। गोविंद सिंह 7 साल लगातार सीकर से कांग्रेस जिला अध्यक्ष भी रहे चुके हैं। ऐसे में डोटासरा, संगठन की बारीक़ी से समझ रखने वाले नेता हैं।

साल 2008 के विधानसभा चुनाव के लिये गोविंद सिंह पहली बार प्रत्याशी बनाए गये थे। चुनाव परिणाम गोविन्द सिंह के पक्ष में रहा। सिर्फ और सिर्फ 34 वोटो से जीतकर उन्होने कांग्रेस विधायक पद हासिल किया था। पांच साल बाद यानि साल 2013 के एसेम्बली इलेक्शन में भी उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार सुभाष महारिया को बड़ा झटका देकर प्रदेश की सियासत में अपना वर्चस्व बरकरार रखा। आपको बता दें कि इस चुनाव में कांग्रेस के मात्र 20 उम्मीदवार ही जीत सके थे। डोटासरा ने सूबे में कांग्रेस कमेटी सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी।

इतना ही नहीं, साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होने पार्टी के मीडिया प्रभारी का जिम्मा सम्भाला था। 2018 में हुए चुनाव में गोविंद सिंह ने कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी के तौर पर हैट्रिक लगाया। और उसी सफलता का परिणाम था कि अशोक गहलोत ने डोटासरा को प्रदेश कैबिनेट का हिस्सा बनाया। लेकिन अब डोटासरा की जिम्मेदारियां दोगुनी हो गयी हैं। अब वो शिक्षामंत्री के साथ साथ प्रदेश पार्टी अध्यक्ष भी हैं। लेकिन अब ये देखना होगा कि प्रदेश के नये सारथी किस तरह की इबारत लिखते हैं।ज़ाहिर है कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर इनकी कार्यशैली की तुलना स्वाभाविक लिहाज़ से सचिन पायलट से की जानी तय है। क्योंकि पिछ्ले कई सालों में राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस को अच्छा रिस्पांस मिल रहा था।

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