ठंडे पड़े चीन के तेवर, उसे पूरी तरह छोड़ना होगा पूर्वी लद्दाख |

ठंडे पड़े चीन के तेवर, उसे पूरी तरह छोड़ना होगा पूर्वी लद्दाख |


सीमा पर भारत को लाल आंख दिखाने की कोशिश करने वाले चीन की अक़्ल अब ठिकाने पर आ चुकी है। भारत पर दबाव बनाने के लिये तमाम हथकंडे आज़माने के बावजूद अपनी नापाक़ साजिश में नाक़ाम रहा। इसके उलट अब ड्रैगन शांति का राग अलापने का नाटक करने लगा है।

एलएसी पर दादागिरी से भारतीय इलाक़े पर कब्ज़े का दीव:स्वप्न देखने वाले चीन को भारत ने अपनी कूटनीति और सामरिक नीति की मदद से मुंहतोड़ जवाब दिया। अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में उसके कृत्यों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।

चीन को अब ये बात क़ायदे से समझ आ चुकी हैं कि अब वो अपनी जालसाज नीतियों के चलते खुद ‘शिक़ार’ बन चुका है। और इसका परिणाम अब ये हैं कि चीन दबी आवाज़ में शान्ति की पैरवी करने लगा है। ऐसे में एलएसी पर राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद इलाक़े में पूरी तरह से शान्ति बहाली के लिए यहां से अपने सैनिकों के पूरी तरह हट जाने पर राज़ी हो गया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत- चीन सीमा से जुड़े मसलों पर मशविरे और कॉर्डिनेशन के लिए WMCC का रोडमैप के तहत वार्ता का आयोजिन किया गया है। इस पूरी बातचीत में भारत के अगुवा, भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने की। वहीं दूसरी तरफ चीन का नेतृत्व वहां के विदेश मंत्रालय में तैनात सीमा और समुद्री विभाग के डायरेक्टर ने किया। कूटनीति और सामरिक बातचीत जारी हैं।

आपको बता दें कि भारत और चीनी सेना के बीच एलएसी पर पिछले तकरीबन 8 हफ्ते से अलग अलग लोकेशन्स पर विवाद की स्थिति बनी हुई है। गौरतलब है कि पिछले महीने यानि जून में गलवान घाटी में हिंसक झड़प की वजह से 20 भारतीय जवान की शहादत के बाद जबरदस्त तनाव बढ़ गया था।

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