देश को कमजोर करने वाले ही खुद को राष्ट्रवादी कह रहे हैं | राहुल गाँधी ने दिया बड़ा बयान |

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कोरोना वायरस के संकट पर शुक्रवार को पूर्व अमेरिकी राजनायिक निकोलस बर्न्स से बातचीत की। दोनों के बीच देश दुनिया को लेकर काफी गहरा विमर्श हुआ। कोरोना संकटकाल और देश दुनिया में इसके प्रभाव को लेकर भी दोनों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी। इस दौरान अश्वेत नागरिक, हिन्दू-मुस्लिम, लोकतंत्र समेत कई मसलों पर बातचीत हुई। पढ़े क्या कहा राहुल गाँधी ने राष्ट्रवाद को लेकर।

राहुल गांधी: अमेरिका में अभी क्या हो रहा है, ऐसा क्यों दिख रहा है?

निकोलस बर्न्स: अमेरिका में इस तरह की दिक्कतें हैं, अफ्रीकी-अमेरिकियों के साथ लंबे वक्त से ऐसा होता रहा है। अमेरिका में मार्टन लूथर किंग ने बड़ा काम किया है, उनके आदर्श भी महात्मा गांधी थे। अमेरिका ने बराक ओबामा जैसे नेता को राष्ट्रपति को चुना लेकिन आज क्या देखने को मिल रहा है। किसी का भी हक है, प्रदर्शन करना लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति ब्लैक लोगों को आतंकवादी समझते हैं।

राहुल गांधी: भारत और अमेरिका दोनों ही सहिष्णु देश हैं, जो नए आइडिया को समझते हैं और किसी भी विचार की इज्जत करते हैं। लेकिन आज दोनों देशों में दिक्कत है।

निकोलस बर्न्स: आज अमेरिका के लगभग हर शहर में इस तरह का प्रदर्शन हो रहा है, जो लोकतंत्र के लिए मायने रखता है। अगर हमें चीन जैसे देश को देखते हैं, तो हम काफी बेहतर हैं। भारत में भी यही है वहां भी लोकतंत्र है और लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिली है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका का लोकतंत्र फिर मजबूत होगा।

राहुल गांधी: मुझे लगता है कि जो बंटवारा दिख रहा है, वो देशों को कमजोर करने वाला है। जब आप लोगों को जाति या धर्म में बांटते हैं, तो देश को कमजोर करते हैं। जो लोग देश को कमजोर कर रहे हैं, वही खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं।

निकोलस बर्न्स: मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल ऐसे ही हैं वो सोचते हैं कि वो सबकुछ ठीक कर सकते हैं। लेकिन हमारे यहां सेना के लोगों ने ही कह दिया है कि हम सेना सड़क पर नहीं उतारेंगे, हम संविधान के हिसाब से चलेंगे राष्ट्रपति के हिसाब से नहीं। अमेरिकी लोगों को प्रदर्शन करने का हक है, लेकिन सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं। चीन और रूस जैसे देशों में अभी भी अधिनायकवाद हो रहा है।

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