गगनयान की उड़ान पर संकट के बादल, इसरो की 75 वीं वर्षगांठ का है अहम हिस्सा |

भारत की पहली मानवरहित उड़ान भरने को तैयार महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना पर संकट के बादल छा रहे हैं। देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण इस परियोजना में कुछ देरी हो सकती है। ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल गगनयान परियोजना पूरी न हो और इसे रद कर दिया जाए। हालांकि, इसरों के अधिकारियों के मुताबिक, अभी तक गगनयान अभियान को रद करने का फैसला नहीं लिया गया है।

‘ गगनयान’ के पहले मानव रहित मिशन में हो सकती है देरी

अंतरिक्ष में भारत की महत्वकांक्षी यात्रा ‘गगनयान’ से पहले इस साल अंतरिक्ष में जांच के तौर पर मानवरहित मिशन की तैयारी थी, लेकिन COVID-19 को रोकने के लिए लागू बंद की वजह से इसकी तैयारियों पर असर पड़ा है और अब इस उड़ान में कुछ विलंब हो सकता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहले बताया था कि वह गगनयान से पहले आजमाइश के तौर पर दो मानवरहित विमान भेजेंगे, जिसमें से एक दिसंबर 2020 में उड़ान भरने वाला है और दूसरा जुलाई 2021 में रवाना होगा. अब इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘COVID-19 की वजह से कुछ बाधाएं आई हैं लेकिन अब भी पुष्टि (विलंब) नहीं की जा सकती है. हमारे पास अब भी छह महीने का समय है. हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हम वहां पहुंच सकते हैं.’उन्होंने कहा, ‘थोड़ा इधर-उधर (समय सारिणी में) हो सकता है लेकिन इसका भी पता तभी चलेगा जब हम पूरा मूल्यांकन करेंगे… अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि जो टीम अभी इस परियोजना पर काम कर रही है उसने कुछ ऐसा (विलंब को लेकर) संकेत नहीं दिया है.’

इसरो अपनी 75 वीं वर्षगांठ पर देना चाहता है गगनयान का विशेष तोहफा

इसरो की योजना पहली उड़ान में मानव आकृति वाले ‘व्योमित्र’ को भेजना है. अंतरिक्ष एजेंसी की योजना 2022 में 10,000 करोड़ रूपये की लागत वाले ‘गगनयान’ को अंतरिक्ष में भेजने की है. देश 2022 में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा. भारतीय वायु सेना के चार पायलट (गगनयान परियोजना के संभावित उम्मीदवार) मॉस्को में अभी प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं. प्रशिक्षण हासिल करने के पश्चात इसके सफल प्रक्षेपण का प्रयास किया जाएगा.

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