रिस्क : किशोर मन का कोमल दस्तावेज | समीक्षक – रानी कुकसाल | उपन्यासकार – शरद मिश्रा

उपन्यास : रिस्क
लेखक : शरद कुमार मिश्र
प्रकाशक : देववाणी प्रकाशन
मूल्य : ₹160

रिस्क : किशोर मन का कोमल दस्तावेज

रात के अंधेरे में जीवन के गहरे रहस्य छुपे होते हैं। जीवन भी कई बार निराशा और अवसाद की काली रात से गुजरता है, लेकिन उस रात के बाद आने वाला एक चमकता दिन आप की दिशा तय करता है और मार्ग प्रशस्त करता है। दिल और दिमाग को उजालों से भर देता है। हाल ही में प्रकाशित उपन्यास ‘रिस्क’ में शरद कुमार मिश्र ने जीवन, मन, विचार और भावनाओं के अंधेरे से सुबह के उजालों का सफर खूबसूरती से तय किया है। उपन्यास में रोमांस है, एहसास है, वासना का भी वास है पर यह पूरी किताब अश्लील शब्द से दूर रही। कहीं-कहीं जरूरत के अनुसार भटकाव है और वह अखरता भी है पर जब लेखक शरद कुमार मिश्र आध्यात्मिक पक्षों को अभिस्पर्श करते हैं तो आश्चर्यजनक रूप से बाजी मार ले जाते हैं। शुरुआत हल्का सा निराश करती है लेकिन आगे बढ़ते ही पाठकीय दिलचस्पी लहराने लगती है।
उपन्यास की सबसे खास बात यह कही जा सकती है कि वह मानस पर कोई दबाव नहीं बनाती। आप जब भी जहां भी उपन्यास को पढ़ना छोड़ते हैं वह वहीं पर आपका इंतजार करता मिलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो प्रस्तुति, कथानक और भाषा में इतनी सहजता है कि आप कहीं से भी इसका छोर पकड़ लेते हैं और वह बिना कोई व्यवधान के आपको थाम कर आगे की कहानी में प्रवेश करवा देता है। उपन्यास के पात्रों में इतनी स्पष्टता है कि समर के जीवन में आई हर लड़की अपना एक अलग अस्तित्व रखती है। उनके चरित्र इतनी बारीकी से उकेरे गए हैं कि वे एक-दूसरे को ‘ओवरलैप’ नहीं करती। भाषा की मोहकता शरद का प्रबल पक्ष है। शाब्दिक आडंबरों से दूर उनकी भाषा में ऐसा लालित्य है जो रुचिकर लगता है।
पूरे उपन्यास में जहां कलात्मक प्रवाह है वही नन्हे मोड़ पर वह समझदारी से पाठकों की सुविधा का ख्याल करते हुए हाथ बढ़ाता है। नैराश्य के अंधेरों को जिस गहनता में जाकर वे प्रस्तुत करते हैं वह मन के भीतर हलचल मचाता है। और जिस उजाले में उनका पात्र चमकता है उसकी गुलाबी आभा पाठक के चेहरे पर आती है। समर के जीवन में आई हर लड़की एक सबक देकर जाती है हर किरदार की अपनी कहानी है। प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण फैंटेसी का कोमल सम्मिश्रण युवा पाठकों के लिए एक ऐसा ‘मानस व्यंजन’ है जिसे वह गहरी दिलचस्पी के साथ लेना पसंद करेगा। उपन्यासकार शरद के पास पाठकों को बांधे रखने की क्षमता है पिछले उपन्यास ‘शत्रु’ में वे ये बात साबित कर चुके हैं।
रिस्क में एक नई सुगंध के साथ हम उनसे रूबरू होते हैं 160 पृष्ठों का यह उपन्यास हर लिहाज से पठनीय है। शरद कुमार मिश्र के शब्दों में उपन्यास का सार छुपा है – बहुत कम पुरुष होते हैं जो नारी के अतींद्रिय सौंदर्य को देख पाते हैं, नतीजा यह है कि हमारे समाज से नारीत्व खो रहा है। हमारे समाज का सबसे बड़ा नुकसान नारीत्व के खोने में ही है और हमारे समाज की मुक्ति उस नारीत्व को फिर जीवित करने में है। प्रेम और सौंदर्य के भीतर की सच्ची यात्रा है रिस्क।

रानी कुकसाल
बी- 117, अपना नगर
गांधी धाम – कच्छ
गुजरात
(समीक्षक सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘ललिता’ एवं ‘सेमिया पगलिया’ की लेखिका व लोकप्रिय कवियित्री हैं)

उपन्यासकार – शरद मिश्रा

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