हरी खाद का प्रयोग कर मिट्टी की सेहत सुधारें किसान भाई- डॉ मनोज | एग्री विजन काशी प्रांत द्वारा बेविनार आयोजित |

एग्री विजन काशी प्रांत द्वारा बेविनार के माध्यम से आयोजित हुआ किसान जागरूकता कार्यक्रम

सोमवार को एग्री विजन काशी प्रांत द्वारा आयोजित बेविनार (व्याख्यानमाला) द्वारा हरी खाद की उपयोगिता एवं मृदा की जांच विषय पर वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार सिंह किसानों को संबोधित कर रहे थे। डॉ सिंह ने बताया कि हरी खाद से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और भूमि की रक्षा होती है। मृदा के लगातार दोहन से उसमें उपस्थित पौधे की बढ़वार के लिये आवश्यक तत्त्व नष्ट होते जा रहे हैं। इनकी क्षतिपूर्ति हेतु व मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिये हरी खाद एक उत्तम विकल्प है। उन्होंने बताया कि हरी खाद वाली खरीफ की फसलों में लोबिया, मू़ंग, उड़द, ढेचा, सनई व गवार की फसल से अधिकतम कार्बनिक पदार्थ और नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए एक विशेष अवस्था में उसी खेत में दबा देना चाहिए| इन फसलों को 30 से 50 दिन की अवधि में ही पलट देना चाहिए, क्योंकी की इस अवधि में पौधे नरम होते है जल्दी गलते है|यह खाद केवल नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थो की ही आपूर्ति नही करती है बल्कि इससे भूमि को कई पोषक तत्व भी प्राप्त होते है| इसे प्राप्त होने वाले पदार्थ इस प्रकार है नाइट्रोजन, गंधक, स्फुर, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, तांबा, लोहा और जस्ता इत्यादि हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन सब प्रक्रियाओं के द्वारा किसान भाई हरी खाद को अधिक पैदावार के लिए और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रयोग में ला सकते है और यह उनकी फसल के लिए भी बेहतर है, कम लागत में इसके द्वारा अधिक मुनाफा लिया जा सकता है|

डॉ सिंह ने किसान भाइयों को मृदा परीक्षण के बारे कहा कि मृदा परीक्षण कराने के पश्चात मृदा स्वास्थ्य कार्ड की रिपोर्ट के अनुसार ही फसलों की बुवाई हितकर है, क्योंकि किसान भाइयों द्वारा लगातार अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग खेतों को बंजर बना रहा है और फसल उत्पादन में भी गिरावट आई है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से किसानों को यह पता चल पाता है कि कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है? मृदा स्वास्थ्य परीक्षण के बाद खेतों में बुवाई की लागत से लेकर फसल उत्पादन तक अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। उन्होंने किसान उन्नतशील बीजों का प्रयोग कैसे करें, रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग कैसे करें एवं फसल उत्पादन में वृद्धि कैसे हो इस पर एक के बाद एक जानकारियां साझा की। डॉ सिंह ने कहा कि सरकार कस्टम हायरिंग सेंटर बनाने पर विचार कर रही है जिसके माध्यम से किसानों के समूह बनाकर उन्हें कृषि यंत्र प्रदान करके उन्हें और अधिक मजबूत बनाएगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तिलहन, दलहन गेहूं एवं आयल सीड सभी के उन्नतशील बीजों को किसान भाइयों को अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा और खेतों में प्रदर्शन भी करवाया जाएगा। किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए ऑनलाइन मंडी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान किया। डॉ सिंह ने कृषि आत्मा योजना, कृषि सिंचाई योजना, कृषक प्रशिक्षण योजना, फार्म मशीनरी बैंक, रूरल यूथ प्रशिक्षण समेत तमाम कृषि योजनाओं द्वारा किसानों को खुद को प्रशिक्षित करके लाभान्वित होने का आग्रह भी किया। उन्होंने बताया कि गांव में बिजली की समस्या को देखते हुए सरकार ने सोलर पंप की व्यवस्था भी किसान भाइयों के लिए की है। डॉ सिंह ने बताया कि कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत 90% अनुदान पर किसान भाइयों को सिंचाई के उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं।
उद्यान विभाग की योजना के बारे में बताया कि फल फूल सब्जी के उत्पादन का प्रशिक्षण एवं जरूरी पौध कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। इस अवसर पर प्रदेश के तमाम कार्यकर्ता एवं कृषक ऑनलाइन वेबीनार कार्यक्रम में जुड़े। अंत में कार्यक्रम संयोजक अमित कुमार ने मृदा वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार सिंह समेत प्रदेश से जुड़े तमाम कृषको का आभार ज्ञापित किया।

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