कदमो से किलोमीटर नापती जिन्दगियाँ | बेबस मजदुर या लाचार राज्य सरकार ?

कोरोना महामारी के बीच पलायन कर रहे मजदूरों को देख कर क्या आपके मन में भी ये सवाल उठता है की क्या जरुरत है इन्हे पलायन करने की ? क्यों ये मजदुर भीड़ जमा करके इस बीमारी को बढ़ावा दे रहे है ? ऐसी भी क्या मज़बूरी है इनकी जो ये पैदल चल रहे है ?

अगर हाँ तो हम आपको बता दे की ये मज़बूरी सिर्फ मजदूरों की नहीं है, दरअसल मज़बूरी राज्यसरकार की है । इतने बड़े पैमाने में पलायन एक दो दिन में नहीं बल्कि डेढ़ महीने की लगातार राज्य और केंद्र सरकार से गुहार और उनके मदत के इंतज़ार के बाद शुरू हुआ है ।

मजदूरों ने तो कई बार गुहार लगाई है सरकार से और डेढ़ महीने तक इंतज़ार भी किया, पर राज्य सरकार की नाकामियों ने आज मजदूरों को मजबूर कर दिया इस तरह पलायन करने पर । आज जो सड़को पर कदमो से किलोमीटर नापती जिन्दगियाँ दिख रही है, उसमे कही न कहीं राज्य सरकार की बेबसी और नाकामी साफ़ साफ़ झलक रही है ।

सवाल यह है की अगर राज्यसरकार बड़े बड़े फैसले, बड़े बड़े कदम उठा रही है तो फिर ये उनकी लाचारी सडको पर इस क़दर क्यों ठोकर खा रही है ?
सत्ता में रह कर भी राज्यसरकार के होंसले कमजोर है इसलिए ही पिछले चार दिनो में सरकार या किसी सरकारी अधिकारी की तरफ से कोई मदत का आश्वासन नहीं आया इन मजदूरों के लिए । इन दिनों में मुख्यमंत्री ने ना राज्य को सम्बोधित किया, ना जिलों की सीमाएं सील की, ना ही पुलिस ने किसी को रोकने का प्रयास किया । चर्चा का विषय यह है की किसके आदेश से प्रशासन गूंगी हो गयी है और किसके आदेश से इतने बड़े पैमाने पर लोग भीड़ जमा करके राज्य की सीमा लांघे जा रहे है ??

यह किन किन सरकार की नाकामी के वजह से हो रहा है, यह वाद-विवाद का मुद्दा है पर इससे बढ़ कर आज हमारे लिए इन मजदूरों की मजबूरी और बेबसी है । आज राज्य सरकार के पास चुप रहने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है । मुख्यमंत्री की वही चाह दिख कर आ रही है जो एक लाचार लीडर की होती है । लाचार लीडर बुरे समय में कमजोरों और बेसहाय लोगो को खुद से दूर कर जिस तरह अपनी अप्रतिष्ठा को प्रदर्शित करता है उसी तरह लोगो के पलायन पर चुप्पी साध कर मुख्यमंत्री भी अपनी अप्रतिष्ठा प्रदर्शित कर रहे है ।

वीडियो देखें, कैसे लॉकडाउन में फंसा मजदूर गाना गाकर राज्य सरकार से मदत की गुहार लगा रहा है। यह गाना सीधे आपके दिल पर चोट करेगा |

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