आज आद्य शंकराचार्य जी का निर्वाण दिवस है | जानें उनकी समाधि स्थल के बारे में

आज आद्य शंकराचार्य जी का निर्वाण दिवस है । 1980 में केदारनाथ की यात्रा के संस्मरण के अनुसार केदारनाथ मन्दिर में दर्शन के पश्चात आस पास घूमने पर एक स्थान पर एक दीवार में एक हाथ बना था जिसके हाथ में सन्यासी का दंड था। दीवार का रंग नीला(आसमान/ब्रम्हांड का प्रतीक) व दंड स्वेत रंग का था आसपास स्वतः उग आई पहाड़ी घास/छोटे पौधे से थे जिनमें से किसी किसी मे बहुत छोटे सफेद ही फूल थे । समझ नहीं आया कि इस निर्माण का मतलब क्या है कोई रख रखाव भी नहीं दिख रहा था । किन्तु उस स्थान पर एक अजीब सी(आध्यत्मिक) अनुभूति हो रही थी। थोड़ी देर उस स्थान पर रुकने पर वहां मन्दिर से ज्यादा अच्छा लग रहा था। बाद में पता चला की वह आद्य शंकराचार्य का समाधि स्थल था। जिनकी वजह से लाखों लोग वर्षो से यहां आ रहे हैं उनके समाधि स्थल की यह उपेक्षा समझ नहीं आई । बल्कि बहुत से लोग तो जाते भी नहीं हैं। खैर यह हम हिंदुओ के स्वभाव में है । केरल जाते हैं किंतु शंकराचार्य जी के जन्मस्थान नहीं जाते , चलो वह थोड़ा अलग है लेकिन मथुरा जाते हैं किंतु कृष्ण की जन्मभूमि नही जाते । बल्कि अब तो बहुत से लोग हैं जो नियमित व्रन्दावन जाते हैं किन्तु मथुरा आज तक नहीं गए ।

महान दार्शनिक आदि शंकराचार्य
सुना है बाढ़ में उस स्थान के नष्ट हो जाने के बाद मोदी जी उस स्थान पर एक भव्य निर्माण कराने जा रहे हैं । अब वहां दर्शनार्थी जाएंगे भी और फोटो भी शेयर करेंगे ।किन्तु मोदी जी यदि मुझसे पूछते तो मैं यही कहता जो जैसा था वही ठीक था। क्योंकि वह स्थान तो शायद तीर्थ यात्रियों के लिए भी नहीं था पर्यटकों की तो बात ही जाने दें । यह फोटो भी नेट में सिर्फ एक साइ%

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