सौ सौ सलाम | कवि – विजय श्रीवास्तव

इस संकट की घड़ी में देश के प्रत्येक घर
की खुश हाली, सबके जीवन की रक्षा केलिए
कोरोना नामक अदृश्य महामारी से लड़ने वाले सैन्य बल के,

पुलिस बल के सरकारी आधिकारी व

कर्मचारी गण सामाजिक संस्थाओं,

स्वयंसेवी संस्थाएं स्वयं सेवक
तन मन. धन से प्राण.प्रण से महीनों से
खुले मैदान में रातों दिन.अनवरत
अदृश्य शत्रु से लड़ रहें हैं
उनको सौ सौ सलाम——

सौ सौ सलाम

वो निगेहबान हैं डटे मैदान में,
सबकी रक्षा में तन मन समर्पित किये
अदृश्य दुश्मन से वो लड़ रहे|
ताकी जनता जनार्दन सुरक्षित रहें|
ऐसे रण वांकुरों को प्रणाम
उनको सौ सौ सलाम|

अपने कर्तव्य पर वो अटल है अडिग
प्रहरी बन कर खड़े हर प्रहर में सजग
भूल परिवार को अपने घरबार को
मौत से लड़ रहे उनको सौ सौ सलाम

सभी कोरोना से बचे रहें
अपने घर में सुरक्षित रहें
इसलिए भूल बैठे अपनी
भूख और प्यास को
जान हथेली पे लिए
खड़े हैं मैदान में
सैन्य बल को सौ सौ सलाम
पुलिस बल को सौ सौ सलाम

सबके दिल की दुआ है
आप सब खुश रहें
आपके सब स्वजन
सदा ख़ुश रहेंआनन्दितरहें
हर घर के बेटे भाई आप हैं
रक्षक हमारे केवल आप हैं
पुलिस बल को सौ सौ सलाम

सारे अधिकारी, कर्मचारी गण को नमन है
उनकी सेवाएं बहुमूल्य, हैं और बेजोड़ हैं
सामाजिक संस्थाएं सेवा भाव से लिप्त हैं
एन. जी.ओ.और स्वयं सेवक इसमें लीन है
आ रहें हैं वो हर परिवार के काम
उन सबको है ये दिल का पयाम
सबको सादर सौ सौ सलाम

कवि – विजय श्रीवास्तव (बस्ती)

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